Monday 12 July 2010

या तो लहर हो या मूलभूत मजबूती

मई का औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) बाजार की उम्मीद से कम हैं। फिर भी बाजार में किसी करेक्शन/गिरावट का अंदेशा नहीं है। भरपूर बारिश, अच्छा कर संग्रह, खाद्यान्नों के उत्पादन में बढोतरी, ठोस राजकोषीय मजबूती, बाजार में शेयरों के मालिकाने का स्वरूप और ज्यादा से ज्यादा शेयरों की मात्रा को पचाने की क्षमता… ये सब ऐसे कारक हैं जो सेंसेक्स को 21,000 तक ले जा सकते हैं। आज यह सूचकांक 18,000 अंक के जादुई आंकड़े से ऊपर जाकर नीचे आया है और अब यकीनी तौर पर आगे ही जाएगा।

फॉर्च्यून पत्रिका की 500 कंपनियों की सूची में भारत का अच्छा-खासा योगदान है। कम से कम 12 भारतीय कंपनियां इस बार की सूची में आई हैं। इनमें मेरी पसंदीदा इंडियन ऑयल, ओएनजीसी, रिलायंस इंडस्ट्रीज, टाटा स्टील और टाटा मोटर्स जैसी कंपनियां शामिल हैं। अगले दो सालों में इस सूची में कम से कम 40-50 भारतीय कंपनियां होंगी और हमारी हिस्सेदारी 10 फीसदी तक पहुंच जाएगी। वैश्विक अधिग्रहण व विलय से हम इस मुकाम तक और भी तेजी से पहुंच सकते हैं।

अपना निवेश बरकरार रखें और ऐसे स्टॉक्स की तलाश करें जिनमें या तो मारुति जैसी कोई लहर आ रही हो या जो मूलभूत कारकों के आधार पर सस्ते हों, जैसे – इंडिया सीमेंट, रिलायंस कैपिटल या एचडीआईएल। इन सभी में अच्छी-खासी बढ़त की संभावना है।

बाजार (निफ्टी) 5370 अंकों की बहु-प्रतीक्षित बाधा को पार कर चुका है और अब भी इसी स्तर के आसपास ट्रेड कर रहा है। यह स्तर टेक्निकल और चार्ट विशेषज्ञों के लिए बहुत मायने रखता है। मेरे लिए निफ्टी के अगले लक्ष्य 5500, 5700 और 5800 अंक के हैं, जिसके बाद यह पक्के तौर पर 6000 को पार करेगा। करेक्शन बाजार का अभिन्न हिस्सा हैं। वे निवेशक व ट्रेडर ही वाकई मुनाफा कमाने के हकदार हैं जो करेक्शन के इस पहलू को हकीकत मानकर चलने को तैयार हैं।

मैं सभी आम निवेशकों को यही सलाह दूंगा कि भले ही बाजार में थोड़ी-बहुत गिरावट आए, आप अपनी पोजिशन को मजबूती से होल्ड रखें। बी ग्रुप के शेयरों में आई हर गिरावट को खरीदने के अच्छे मौके के रूप में इस्तेमाल किया जाना चाहिए।

अक्सर जीतने का सबसे अच्छा तरीका यह होता है कि आप आप मन से हिसाब-किताब की चिंता ही हटा दें। 'मा फलेषु कदाचन' जीत का ही सूत्र  है।

(सौ.: अर्थकाम) 

Sunday 4 July 2010

बहिष्कृत है आधे से ज्यादा देश

देश की कुल 6 लाख बसाहटों में से बमुश्किल 30,000 या महज 5 फीसदी में किसी वाणिज्यिक बैंक की शाखा है। तकरीबन 40 फीसदी भारतीयों के पास ही बैंक खाता है।  यह अनुपात देश के उत्तर-पूर्वी हिस्से में तो और भी ज्यादा कम है। ऐसे लोगों की संख्या जिनके पास किसी न किसी किस्म का जीवन बीमा कवर है, केवल 10 फीसदी है। साधारण बीमा की बात करें तो यह सुविधा लेनेवालों का अनुपात एक से भी कम 0.6 फीसदी है। देश में डेबिट कार्ड रखनेवालों की संख्या आबादी की सिर्फ 13 फीसदी है और क्रेडिट कार्ड रखनेवाले तो महज 2 फीसदी हैं - सुब्बाराव