Monday 27 September 2010

स्टरलाइट टेक्नो में 30% प्लस

स्टरलाइट टेक्नोलॉजीज (बीएसई कोड – 532374, एनएसई कोड – STRTECH) में इधर एक तरह की चाल बनती हुई नजर आ रही है। हालांकि पिछले ही महीने 3 अगस्त को उसने 124.20 रुपए पर 52 हफ्ते का उच्चतम स्तर हासिल किया है। इस समय गिरकर 99.95 रुपए पर आ गया है। लेकिन बाजार के जानकारों के मुताबिक इसमें फिर हलचल बढ़ने जा रही है और यह 130 रुपए तक जा सकता है। यह अनिल अग्रवाल से जुड़ी वेदांता समूह की कंपनी है। पावर कंडक्टर और ऑप्टिकल फाइबर केबल बनाती है। इनका इस्तेमाल बिजली व टेलिकॉम क्षेत्र में होता है और ये दोनों ही क्षेत्र बराबर बढ़ रहे हैं और बढ़ते ही रहेंगे।

कंपनी बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए ऑप्टिकल फाइबर से लेकर पावर कंडक्टर की क्षमता बढ़ाने के काम में लगी है। क्षमता विस्तार पर वह करीब 400 करोड़ रुपए खर्च करेगी। कंपनी के पास इस समय 2600 करोड़ रुपए के ऑर्डर हैं। इसका 70 फीसदी हिस्सा बिजली क्षेत्र से आया है। उसकी मुख्य ग्राहक अभी तक सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां रही हैं। लेकिन धीरे-धीरे वह निजी क्षेत्र को भी अपने दायरे में ले रही है।

कंपनी ने वित्त वर्ष 2009-10 में 2431.63 करोड़ रुपए की आय पर 246.07 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया था। चालू वित्त वर्ष में जून 2010 की पहली तिमाही में उसकी आय 491.76 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 55.58 करोड़ रुपए रहा है। कंपनी का ठीक पिछले बारह महीने (टीटीएम) का ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 7.19 रुपए है। उसके शेयर की बुक वैल्यू 26.42 रुपए है। इस तरह शेयर इस समय बुक वैल्यू से 3.78 गुना और ईपीएस से 13.9 गुना चल रहा है। लेकिन अगर साल भर का नजरिया रखें तो वित्त वर्ष 2011-12 में इसका ईपीएस 9.3 रुपए होगा। वह भी तब पहले जारी किए वारंटों के शेयर में बदलने से इक्विटी बढ़ चुकी है। भावी संभावना के आधार पर ही शेयर के 130 रुपए तक जाने का आकलन किया गया है।

Thursday 23 September 2010

कल का बीमा है आईडीबीआई

आईडीबीआई बैंक (बीएसई कोड – 500116, एनएसई कोड – IDBI) में निवेश के बारे में हम पिछले दो महीने से लिख रहे है। चक्री चमत्कार कॉलम में इसे खरीदने की सलाह बराबर दी जाती रही है। 7 जून को जब हमने खुलकर इसे खरीदने को कहा था, तब इसका भाव था 111.90 रुपए। और, यह बढ़ते-बढ़ते कल 52 हफ्ते की चोटी 147.30 रुपए पर पहुंच गया। हालांकि बंद हुआ 146.50 रुपए पर। असल में 1 सितंबर को जब से इसने चालू व बचत खातों पर लगभग सारे शुल्क खत्म करने का फैसला किया है, तब से इसकी चाल तेज हो गई है। हर दिन थोड़ा-थोड़ा बढ़ रहा है।
हम पहले भी कह चुके हैं और अब भी कहते हैं कि आईडीबीआई बैंक भविष्य में स्टेट बैंक से टक्कर लेने की सामर्थ्य रखता है। इसलिए इसे मौजूदा स्तर भी ले लेना लंबे समय के लिए फायदे का सौदा है। हालांकि अगर आपने हमारी सलाह पर 7-8 जून के आसपास इसे खरीद लिया होगा तो आपको 30 फीसदी से अधिक का फायदा अब तक ही मिल चुका होगा।
सार्वजनिक क्षेत्र का बैंक है। लेकिन रंग-ढंग में निजी क्षेत्र के बैंकों एचडीएफसी बैंक या आईसीआईसीआई बैंक से कमतर नहीं है। इसने खुद को विकास के कामों से जुड़ी वित्तीय संस्था से बैंक के रूप में तब्दील किया है। ब्रांडिंग जबरदस्त तरीके से की है। हाथी और बच्चे वाला विज्ञापन याद है न। कामकाज का बेहद प्रोफेशनल रवैया है। बीमा कंपनी या म्यूचुअल फंड जहां भी हाथ डाला, एकदम संजीदा तरीके से काम कर रहा है। यूनाइटेड वेस्टर्न बैंक के विलय के बाद इसे कई साल पहले ही रिटेल ग्राहकों का अच्छा आधार मिल चुका है। इस समय आईडीबीआई बैंक का ठीक पिछले बारह महीनों (टीटीएम) का ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 11.28 रुपए और इसका शेयर 12.99 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। इसके शेयर की बुक वैल्यू ही इस समय 117.79 रुपए है।
आगे की बात करें तो बैंक चालू ब बचत खातों (कासा) की संख्या बढ़ाकर अपने फंड की लागत घटाने में लगा है। यह सच है कि उसकी कुल जमा में कासा का योगदान 14 फीसदी के आसपास है। लेकिन वह इसे तेजी से बढ़ाने में लगा है और अभी तक की सूचना के मुताबिक इस महीने से की गई पहल पर उसे ग्राहकों का अच्छा रेस्पांस मिल रहा है।
बैंक में सरकार की इक्विटी 52.67 फीसदी है, जबकि घरेलू संस्थाओं के पास इसके 20.08 फीसदी शेयर हैं। बैंक अपने नए सीएमडी आर एम मल्ला के नेतृत्व में आगे भी कई नई पहल करने वाला है। थोड़े में बस इतना ही कहना है कि इस शेयर को लंबे समय के लिए बटोर कर रख लेना चाहिए। यह सुरक्षा देने में किसी भी अच्छी से अच्छी बीमा पॉलिसी से कम नहीं साबित होगा।
(सौ. : अर्थकाम)

Sunday 12 September 2010

Polaris: Buy for a target of Rs211

To view full report from KR Choksey click here.

Thursday 5 August 2010

गोल्ड ईटीएफ में निवेश करे

यदि आप एक रूढ़िवादी / conservative निवेशक हैं तो आपके पोर्टफोलियो का 15-20 फीसदी के आसपास सोने में निवेशित होना चाहिए. आक्रामक निवेशक पोर्टफोलियो का 5-10 फीसदी तक ही गोल्ड में निवेश कर जोखिम उठा सकते हैं.

गोल्ड ईटीएफ के माध्यम से निवेश करे क्युकी वे असल (Actual) सोना खरीदने की तुलना में सुरक्षित और लागत प्रभावी हैं. ईटीएफ Fund आपके लिए सोना खरीदता है और आपके डीमैट खाते में इकाइयों (units) के रूप में इसका उल्लेख किया जाता है. इसका मतलब है एक खरीदार के लिए एक बैंक की तिजोरी या अन्य भंडारण पर पैसा खर्च करने की जरूरत नहीं है. ईटीएफ के द्वारा आप 1g सोने को भी खरीद सकते हैं और इसमें जौहरी या बैंक का कोई प्रोफिट मार्जिन शामिल नहीं होता. इसके अलावा, निवेशक ईटीएफ को आसानी से बेच सकता हैं. 

ईटीएफ अधिक कर (टैक्स) कुशल भी होते हैं. अगर आप भौतिक (Actual) सोना खरीदते हैं तो तिन वर्ष के भीतर बेचने पर आपको अल्पावधि (शोर्ट-टर्म) पूंजी लाभ कर (टैक्स) देना पड़ता हैं जबकि ईटीएफ के मामले में, एक वर्ष के बाद इकाइंयो को बेचने पर लंबी अवधि (लॉन्ग-टर्म) कर (टैक्स) लगता हैं. के पूंजी लाभ (यानि 10 या 20 प्रतिशत, सूचीकरण लाभ के साथ). 

मेरी सलाह में आप गोल्ड इटीऍफ़ को अपने पोर्टफोलियो में जरुर तवज्जो दे और भौतिक (Actual) सोना खरीदने के बजाय ईटीएफ में निवेश करे.
(सौ. बिज़नस स्टेंडर्ड)

Tuesday 3 August 2010

सिप के साथ स्विप करें म्यूचुअल फंड

सिस्टमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान (सिप) इस समय म्यूचुअल फंड में निवेश का सबसे लोकप्रिय तरीका बन गया है जिसमें नियमित अंतराल पर रकम निवेश की जाती है। लेकिन इनके सिस्टमैटिक विदड्रॉअल प्लान (एसडब्ल्यूपी या स्विप) भी हैं जिनसे निवेशक नियमित अंतराल पर कुछ पैसा अपने निवेश में से निकाल सकते हैं। निकाला गया पैसा किसी ओर योजना में निवेश किया जा सकता है या फिर कुछ ओर खर्चों के लिए इसका उपयोग कर सकते हैं। अमूमन स्विप को सेवानिवृत्ति के बाद होने वाले नियमित खर्चों को पूरा करने के लिए अच्छे से उपयोग किया जा सकता है।
स्विप से नियमित अंतराल के बाद कुछ नियत राशि निकाली जा सकती है। यह निकासी मासिक, तिमाही, छमाही या वार्षिक स्तर पर कर सकते हैं। इस योजना में समय अंतराल निवेशक को अपनी जरूरत और प्रतिबद्धताओं के अनुसार चुनना चाहिए। स्विप के कई लाभ हैं।  यह आपके निवेश से एक नियमित समय अंतराल के बाद आपको आपकी चाही गई रकम तो देते ही हैं, साथ में आपकी मूल रकम सीधे बाजार में निवेश रहती है, तो निवेश पर वापसी बहुत अच्छी होने की उम्मीद होती है। आपका मूल निवेश मुद्रास्फ़ीति से भी दो-दो हाथ करता रहता है और स्विप आपका भविष्य सुरक्षित करने में मददगार साबित होता है।
स्विप में आप शेयर बाजार के उतार चढ़ाव को भी झेल सकते हैं। नियमित अंतराल के बाद रकम निकासी से औसत मूल्य अच्छा मिलता है और निवेशक बाजार के उतार चढ़ाव का फायदा ले सकता है।
स्विप कैसे काम करती है: जब आप म्यूचुअल फंड खरीदते हैं तो उसे स्विप में ले सकते हैं। इसमें आपको बताना होता है कि कितना रुपया हर महीने/तिमाही में कौन-सी तारीख को चाहिए। जिस दिन म्यूचुअल फ़ंड खरीदा जाता है, उस दिन की एनएवी (शुद्ध आस्ति मूल्य) की दर से आपको आपके निवेश की यूनिटें मिल जाती हैं। फ़िर अगले महीने से आपकी चाही गई रकम उन यूनिटों में से बेचकर आपको दे दी जाती हैं। इससे फ़ायदा यह है कि अगर लंबी अवधि में देखें तो हम बाजार के उतार-चढ़ाव बहुत ज्यादा पाएंगे और ये उनसे लड़ने में सक्षम हैं।
उदाहरण: एक व्यक्ति वर्ष 2002 में सेवानिवृत्त हुए। उन्होंने वित्तीय विशेषज्ञ की सेवाएं लीं और अपनी सेवानिवृत्ति राशि का 20 लाख रुपया स्विप में लगाने का निर्णय लिया। उन्होंने 9 जुलाई 2002 को रिलायंस ग्रोथ ग्रोथ म्यूचुअल फ़ंड लिया। 9 जुलाई 2002 की एनएवी 31.185 रुपए थी और उन्हें 64,133.3975 यूनिट मिलीं।
अब हर माह उन्हें शुरू की दो तारीख को ही 20,000 रुपए मिल जाते थे, और उन्होंने उसे आज तक जारी रखा है, जैसा कि आप सभी ने देखा है कि इन पिछले आठ वर्षों में बाजार ने अपने कई उतार चढ़ाव देखें हैं और कई बने हैं और कई बर्बाद हुए हैं। आज अगर उनके फ़ंड की उन्नति को देखा जाए तो आप पाएंगे कि पिछले आठ वर्षों में उन्होंने स्विप से 19.20 लाख लाख रुपये तो निकाले ही हैं और आज उनके पास 45,577.8792 यूनिट उपलब्ध हैं जिसकी एनएवी 459.8468 रुपए है। और, कुल निवेश की राशि आज हो गई है दो करोड़ से भी ज्यादा। जी हाँ बिल्कुल सही पढ़ा आपने उनकी आज की रकम है 2,05,69,602.25 रुपए।
कर प्रावधान: अभी तक पहले वर्ष शार्ट टर्म कैपिटल गैन टैक्स देना होता है। जितनी यूनिट आपकी बाजार में बिकी हैं, उस हर यूनिट पर होने वाले फ़ायदे पर और एक वर्ष के बाद लांग टर्म कैपिटल गैन टैक्स से मुक्त है। पर इंडेक्सेशन से कर लगता है। लेकिन नई कर संहिता में लांग टर्म कैपिटल गैन टैक्स की फ़िर से बहाली की गई है, जिसमें निवेशक को हर यूनिट पर होने वाले फ़ायदे पर अब एक वर्ष की अवधि के बाद भी कर देना होगा और इंडेक्सेशन के ऊपर भी कर देय होगा। लेकिन इतना कर देने के बाबजूद भी यह योजना बहुत ही अच्छी है, जोखिमपूर्ण भी है। पर इसके रिटर्न की तुलना किसी और वित्तीय उत्पाद से करना बहुत ही मुश्किल है।
वित्तीय विशेषज्ञ की सेवाएं: मेरी राय है कि जब आप बाजार आधारित कोई भी उत्पाद खरीदते हैं, और अगर खुद विशेषज्ञ नहीं हैं तो वित्तीय विशेषज्ञ की समय समय पर सेवाएं जरुर लें जो आपके धन को सुरक्षित रखने में आपकी मदद करेगा। जैसे पहले उदाहरण में वित्तीय विशेषज्ञ की सेवाएं केवल निवेश के समय ही ली गईं। अगर नियमित रुप से लेते तो यही रकम लगभग चार करोड़ हो गई होती। वित्तीय विशेषज्ञ अपनी सेवाओं के लिए कुछ मामूली सा शुल्क लेते हैं। पर हमें वह शुल्क ज्यादा लगता है। अगर थोड़ा-सा शुल्क देकर आपको अपने निवेश से ज्यादा बेहतर वापसी मिल रही है तो हर्ज ही क्या है।
- विवेक रस्तोगी (लेखक वित्तीय मामलों के विशेषज्ञ हैं और कल्पतरु नाम का अपना ब्लॉग भी चलाते हैं। यह लेख उसी ब्लॉग से साभार लिया गया है)
(Source : Earthkam)

Monday 12 July 2010

या तो लहर हो या मूलभूत मजबूती

मई का औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) बाजार की उम्मीद से कम हैं। फिर भी बाजार में किसी करेक्शन/गिरावट का अंदेशा नहीं है। भरपूर बारिश, अच्छा कर संग्रह, खाद्यान्नों के उत्पादन में बढोतरी, ठोस राजकोषीय मजबूती, बाजार में शेयरों के मालिकाने का स्वरूप और ज्यादा से ज्यादा शेयरों की मात्रा को पचाने की क्षमता… ये सब ऐसे कारक हैं जो सेंसेक्स को 21,000 तक ले जा सकते हैं। आज यह सूचकांक 18,000 अंक के जादुई आंकड़े से ऊपर जाकर नीचे आया है और अब यकीनी तौर पर आगे ही जाएगा।

फॉर्च्यून पत्रिका की 500 कंपनियों की सूची में भारत का अच्छा-खासा योगदान है। कम से कम 12 भारतीय कंपनियां इस बार की सूची में आई हैं। इनमें मेरी पसंदीदा इंडियन ऑयल, ओएनजीसी, रिलायंस इंडस्ट्रीज, टाटा स्टील और टाटा मोटर्स जैसी कंपनियां शामिल हैं। अगले दो सालों में इस सूची में कम से कम 40-50 भारतीय कंपनियां होंगी और हमारी हिस्सेदारी 10 फीसदी तक पहुंच जाएगी। वैश्विक अधिग्रहण व विलय से हम इस मुकाम तक और भी तेजी से पहुंच सकते हैं।

अपना निवेश बरकरार रखें और ऐसे स्टॉक्स की तलाश करें जिनमें या तो मारुति जैसी कोई लहर आ रही हो या जो मूलभूत कारकों के आधार पर सस्ते हों, जैसे – इंडिया सीमेंट, रिलायंस कैपिटल या एचडीआईएल। इन सभी में अच्छी-खासी बढ़त की संभावना है।

बाजार (निफ्टी) 5370 अंकों की बहु-प्रतीक्षित बाधा को पार कर चुका है और अब भी इसी स्तर के आसपास ट्रेड कर रहा है। यह स्तर टेक्निकल और चार्ट विशेषज्ञों के लिए बहुत मायने रखता है। मेरे लिए निफ्टी के अगले लक्ष्य 5500, 5700 और 5800 अंक के हैं, जिसके बाद यह पक्के तौर पर 6000 को पार करेगा। करेक्शन बाजार का अभिन्न हिस्सा हैं। वे निवेशक व ट्रेडर ही वाकई मुनाफा कमाने के हकदार हैं जो करेक्शन के इस पहलू को हकीकत मानकर चलने को तैयार हैं।

मैं सभी आम निवेशकों को यही सलाह दूंगा कि भले ही बाजार में थोड़ी-बहुत गिरावट आए, आप अपनी पोजिशन को मजबूती से होल्ड रखें। बी ग्रुप के शेयरों में आई हर गिरावट को खरीदने के अच्छे मौके के रूप में इस्तेमाल किया जाना चाहिए।

अक्सर जीतने का सबसे अच्छा तरीका यह होता है कि आप आप मन से हिसाब-किताब की चिंता ही हटा दें। 'मा फलेषु कदाचन' जीत का ही सूत्र  है।

(सौ.: अर्थकाम) 

Sunday 4 July 2010

बहिष्कृत है आधे से ज्यादा देश

देश की कुल 6 लाख बसाहटों में से बमुश्किल 30,000 या महज 5 फीसदी में किसी वाणिज्यिक बैंक की शाखा है। तकरीबन 40 फीसदी भारतीयों के पास ही बैंक खाता है।  यह अनुपात देश के उत्तर-पूर्वी हिस्से में तो और भी ज्यादा कम है। ऐसे लोगों की संख्या जिनके पास किसी न किसी किस्म का जीवन बीमा कवर है, केवल 10 फीसदी है। साधारण बीमा की बात करें तो यह सुविधा लेनेवालों का अनुपात एक से भी कम 0.6 फीसदी है। देश में डेबिट कार्ड रखनेवालों की संख्या आबादी की सिर्फ 13 फीसदी है और क्रेडिट कार्ड रखनेवाले तो महज 2 फीसदी हैं - सुब्बाराव

Wednesday 30 June 2010

USHA MARTIN - BUY - TARGET 102 (IIFL)

CMP Rs81, Target Price Rs102, Upside 25.2%

UML is well placed to reap the benefits of a massive capex undertaken over the last three years. Volumes are set to more than double over the next two years while improvement in raw material integration would add further value.

We expect UML to witness a volume growth of 75.5% yoy to 0.56mn tons in FY11 and a further 30.8% yoy to 0.73mn tons in FY12. With steady steel prices globally, we expect topline to jump 55% yoy to Rs28.9bn in FY11 and thereafter 25% yoy to Rs36.2bn in FY12. With the increase in captive consumption of both metallic and raw materials like iron ore and thermal coal, OPM for the company is expected to increase 412bps yoy to 23.4% in FY11. The company’s balance sheet is set to improve following the successful QIP issue in FY10 and the steady cash flows expected over the next two years. Debt/Equity ratio is expected to remain flat at 0.7x as the company has announced a further capex of Rs12bn over the next three years.

At the CMP of Rs81, the stock trades at a P/E of 5.3x and an EV/EBIDTA of 3.8x FY12E, which is at a huge discount to the larger players. We believe that the valuation gap will reduce and recommend a BUY rating on Usha Martin for a target price of Rs102, an upside of 25%.

USHA MARTIN - BUY - TARGET 102 (IIFL)

CMP Rs81, Target Price Rs102, Upside 25.2%

UML is well placed to reap the benefits of a massive capex undertaken over the last three years. Volumes are set to more than double over the next two years while improvement in raw material integration would add further value.

We expect UML to witness a volume growth of 75.5% yoy to 0.56mn tons in FY11 and a further 30.8% yoy to 0.73mn tons in FY12. With steady steel prices globally, we expect topline to jump 55% yoy to Rs28.9bn in FY11 and thereafter 25% yoy to Rs36.2bn in FY12. With the increase in captive consumption of both metallic and raw materials like iron ore and thermal coal, OPM for the company is expected to increase 412bps yoy to 23.4% in FY11. The company’s balance sheet is set to improve following the successful QIP issue in FY10 and the steady cash flows expected over the next two years. Debt/Equity ratio is expected to remain flat at 0.7x as the company has announced a further capex of Rs12bn over the next three years.

At the CMP of Rs81, the stock trades at a P/E of 5.3x and an EV/EBIDTA of 3.8x FY12E, which is at a huge discount to the larger players. We believe that the valuation gap will reduce and recommend a BUY rating on Usha Martin for a target price of Rs102, an upside of 25%.

Wednesday 12 May 2010

विमल ऑयल में उछाल

सुबह हमने चलते-चलते बताया था कि विमल ऑयल एंड फूड्स में तेजी के आसार हैं और वाकई यह शेयर बीएसई में एक ही दिन में 11.63 फीसदी की बढ़त के साथ 44.65 रुपए पर पहुंच गया। ऊपर में यह 45 तक गया था और फिर इसमें थोड़ी कमी आई है। हालांकि बढ़त 10 फीसदी के ऊपर बरकरार है। अनुमान है कि यह शेयर जल्दी ही 48 रुपए तक जा सकता है। वैसे, मेहसाणा (गुजरात) की यह कंपनी कोई लदर-बदर कंपनी नहीं है। विमल व लिपि ब्रांड नाम से अपने खाद्य तेल बेचती है और इन ब्रांडों की अपनी साख है। कंपनी तरह-तरह के रिफाइंड तेल के साथ ही कॉर्न उत्पाद और मार्जेरीन (मक्खन जैसा खाद्य) भी बनाती है।
कंपनी ने दिसंबर 2009 में खत्म तिमाही में 220 करोड़ रुपए की आय पर 1.99 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया था। कंपनी कुल चुकता पूंजी 4,55 करोड़ रुपए है जिसमें पब्लिक की हिस्सेदारी 69.38 फीसदी है, जबकि बाकी 30.62 फीसदी हिस्सा प्रवर्तकों के पास है। कंपनी के मुख्य प्रवर्तक और चेयरमैन व प्रबंध निदेशक जयेश पटेल हैं। वैसे यह पूरी कंपनी ही पटेल लोगों की है और गुजरात में कृषि के मामले में पटेल समुदाय का जबरदस्त दबदबा है।
यकीन नहीं आता कि कंपनी की बुक वैल्यू 95.03 रुपए और उसका शेयर 40-45 रुपए पर डोल रहा है। जाहिर है, निवेश के लिहाज से यह अब भी काफी मुफीद शेयर है। कंपनी ने आज ही अपने सालाना नतीजे भी घोषित किए हैं। उसने वित्त वर्ष 2009-10 में 731.53 करोड़ रुपए की आय पर 6.17 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया है, जबकि वित्त वर्ष 2008-09 में उसकी आय 620.71 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 3.68 करोड़ रुपए था। इस दौरान कंपनी की प्रति शेयर कमाई (ईपीएस) 8.09 रुपए से बढ़कर 13.55 रुपए हो गई है। यानी इसका पी/ई अनुपात अभी है 3.5 से भी कम।
(सौ : अर्थकाम)

Saturday 8 May 2010

Investment and Inflation-Tax Factors


Everyone knows that inflation eats into savings and increases costs . But what a lot of people grapple with is how does one insure oneself against inflation? Here we will discuss why it is important to invest wisely particularly if you do not want to keep running (working hard) just so that you can stand still (maintain your current standard of living). Consider the post-tax, real rate of return.

Whenever you consider an investment option, remember to evaluate the expected rate of return in real terms. In other words, deduct your expected compound annual rate of inflation for the investment period from the compound annual rate of return that you expect from your investment.

For example, say you are considering a bank fixed deposit that promises you an 11% annual rate of return over the next five years and your expectation of inflation during this period is 7% (compound annual).

For this investment, your real compound annual rate of return is only 4%. If your income from this investment attracts a 30% tax rate, then your post-tax real rate of return diminishes further to 0.7% only! A number nowhere near the 11% that you might be using to evaluate this investment option!! An investment with such characteristics is a classical example of running to stand still.

Let's look at how you could improve your 0.7% return. If you are willing to take on a slightly higher level of risk, you could invest this money into an income mutual fund with a dividend investment plan option. Such an investment is likely to yield around 11% post-tax return (since dividend income from mutual funds is non-taxable). This would effectively result in a post-tax, real rate of return of 4%, far higher than the 0.7% that the bank fixed deposit would earn for you.

On a 10-year perspective, Rs10,000 invested today in bank deposits (yielding 0.4% post-tax, real rate of return) would be worth Rs10,722 whereas the same amount invested in an income mutual fund is likely to be 38% higher at Rs14,802. Presumably, this should compensate you for the slightly higher risk to which your investment is exposed.

The above example highlights that inflation and taxes are important factors to consider while evaluating investment returns and how a little more attention to your investment decisions can result in a significant improvement in your financial health.
(Source: Sharepoint)

Saturday 24 April 2010

टांका महंगाई, मुद्रास्फीति और ब्याज दर का


महंगाई हकीकत है। मुद्रास्फीति आंकड़ा है। औसत है। और, औसत अक्सर कुनबा डुबा दिया करता है। खैर वो किस्सा है। हम जानते हैं कि कोई चीज महंगी तब होती है जब उसकी मांग सप्लाई से ज्यादा हो जाती है। कई साल पहले जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने कहा था कि दुनिया में अनाज की कीमतें इसलिए बढ़ी हैं क्योंकि चीन और भारत में अब भूखे-नंगे लोगों के पास खरीदने की ताकत आ गई है। ऐसी ही बात हाल में यूपीएस सरकार ने कुछ नेताओं ने उवाची थी कि नरेगा जैसी योजनाओं से लोगों के पास धन आ गया है तो उनकी तरफ से नई मांग निकलने के चलते अनाज-दाल महंगे हो गए हैं। असल में आदर्श स्थितियों में ही मांग व सप्लाई का नियम लागू होता है। आपको याद ही होगा कि बुश के जमाने में सट्टेबाजों ने कच्चे तेल के दाम आसमान पर पहुंचाए थे, सप्लाई की कमी या मांग की अधिकता ने नहीं।
विकसित देशों में महंगाई की हकीकत और मुद्रास्फीति के आंकड़ों में फासला नहीं होता। अपने यहां चूंकि अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा संगठित नहीं हैं, आंकड़े जुटाने और उन्हें सही समुच्चय में बैठाने की पद्धति आधी-अधूरी है, इसलिए दोनों में काफी बड़ा फासला है। लेकिन हमारे अर्थशास्त्रियों और विद्वानों का ज्ञान संगठित व विकसित बाजारों पर आधारित है, इसलिए वे मुद्रास्फीति के बढ़ते ही ढोल बजाने लगते हैं कि अब तो मुद्रा की स्फीति को रोक देना चाहिए जिसका एक ही उपाय है कि ब्याज दरें बढ़ाकर धन की उपलब्धता को महंगा कर दिया जाए। ब्याज बढ़ने से लोग धन कम ले पाएंगे तो खर्च कम करेंगे जिससे मांग घट जाएगी, सप्लाई अपेक्षाकृत अधिक हो जाएगी और नतीजतन चीजें फिर से सस्ती हो जाएंगी। वैसे, बड़ा अजीब लगता है कि जब चीजें पहले से महंगी हों तो धन को भी महंगा बनाकर उन्हें कैसे सस्ता बनाया जा सकता है?
खैर, रिजर्व बैंक ने 2010-11 की सालाना मौद्रिक नीति में ब्याज दरों (रेपो व रिवर्स रेपो दर) को बढ़ाकर मांग घटाकर मुद्रास्फीति को घटाने की यही तरकीब अपनाई है। माना गया है कि कर्ज महंगा हो गया तो चीजों की सप्लाई मांग की अपेक्षा सही व संतुलित हो जाएगी। लेकिन उन्हें कौन समझाए कि कर्ज लेकर खर्च करना अमेरिका और यूरोप के लोगो की आदत है, हमारी नहीं। अमेरिकी में लीवरेज अनुपात 400 फीसदी है यानी लोग 100 रुपए कमाते हैं तो 400 रुपए खर्च करते हैं। भारत में यह अनुपात बमुश्किल 60-65 फीसदी का है। फाइनेंशियल इन्क्लूजन के तहत सरकार लोगों में कर्ज लेकर उपभोग करने की आदत डलवाना चाहती है। लेकिन हम अभी तक ऋणम् कृत्वा घृतम पीवेत् की मानसिकता को स्वीकार नहीं कर पाए हैं।
असल में माना जाता है कि व्यवस्था में जिस भी चीज की कमी रहेगी, वह महंगी हो जाएगी। जैसे, बीते साल कृषि व उससे जुड़ी गतिविधियों की बढ़ने नहीं, गिरने की दर 2.8 फीसदी रही तो खाने-पीने की चीजें महंगी हो गईं। इसी तरह जिस चीज से सारी चीजें खरीदी जाती हैं, यानी रुपयों की मात्रा घटा दी जाए तो वह महंगा हो जाता है। रिजर्व बैंक ने सीआरआर में चौथाई फीसदी वृद्धि से इसीलिए सिस्टम से 12,500 करोड़ रुपए निकाल लिए हैं। लेकिन समस्या यह है कि देश में धन के महंगे होने या ब्याज दरें अधिक होने से विदेशी धन का आना बढ़ जाता है क्योंकि वही धन उनके देश में कम कमाता है जबकि भारत में उस पर ब्याज से ज्यादा कमाई हो जाती है। अब होता यह है कि देश में डॉलर या यूरो जैसी विदेशी मुद्रा की सप्लाई बढ़ जाती है, जबकि रुपए की सप्लाई स्थिर व सीमित है तो रुपया इन मुद्राओं के सापेक्ष महंगा हो जाता है। इससे आयात तो रुपए में सस्ता हो जाता है, लेकिन निर्यात डॉलर या यूरो में महंगा हो जाता है जिससे देश का निर्यात कारोबार मात खा जाता है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने हाल ही में इसेरिजर्व बैंक की तिरगुन फांस बताया था।
अपने यहां मोटे तौर पर होनेवाले खर्च या जीडीपी का 65 फीसदी हिस्सा उपभोग में जाता है और 33 फीसदी हिस्सा निवेश का है। दूसरे इस 33 फीसदी हिस्से का आधे से ज्यादा भाग हाउसहोल्ड सेक्टर से आता है। ऐसे में नई फैक्टरियां लगाने, क्षमता बढ़ाने या इंफ्रास्ट्रक्चर पर निवेश का काफी कम हिस्सा खर्च होता है। ऐसे में धन या पूंजी को महंगा कर देने से उपभोग पर तो ज्यादा फर्क पड़ेगा नहीं, हां निवेश पर जरूर असर पड़ सकता है। शायद इसीलिए रिजर्व बैंक बार-बार मुद्रास्फीति और आर्थिक विकास में संतुलन बनाए रखने की बात करता है। यह भी गौर करने की बात है कि जहां रिजर्व बैंक ने धन की उपलब्धता को कम करने की कोशिश की है, वहीं इस साल के बजट में वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने 8 लाख रुपए तक की आय पर टैक्स में छूट देकर लोगों को थोड़ा अतिरिक्त धन खर्च करने के लिए दे दिया है।
अगर मुद्रास्फीति की असली वजह सप्लाई का कम हो जाना है, तब अगर रिजर्व बैंक ब्याज दरें या सीआरआर बढ़ाकर धन के प्रवाह की सीमित व महंगा करता है या दूसरे शब्दों में कठोर मौद्रिक नीति अपनाता है तो मुद्रास्फीति तो घटेगी नहीं, बल्कि निवेश घटने से बेरोजगारी बढ़ जाएगी। इस स्थिति को ही स्टैगफ्लेशन या मंदीस्फीति कहते हैं। इसीलिए भारत जैसे देश में मौद्रिक नीति हमेशा ऐसी होनी चाहिए कि जिससे कृषि से लेकर उद्योग में निवेश बढ़े, दोनों ही क्षेत्रों में उत्पादन बढ़े। ऐसा होने पर खाने-पीने की चीजों के दाम भी काबू में ला जा सकते हैं। ताजा आंकड़ों के मुताबिक खाद्य पदार्थों की मुद्रास्फीति 10 अप्रैल 2010 को खत्म हफ्ते में 17.65 फीसदी रही है जबकि ठीक एक हफ्ते पहले यह 17.22 फीसदी थी। जाहिर है खाद्य पदार्थों की मुद्रास्फीति सबसे ज्यादा मार गरीबों करती है, अमीर लोगों पर नहीं क्योंकि अमीरों के कुल खर्च में खाने-पीने की चीजों का अनुपात अधिक नहीं होता।
(सौ. : CNI )

Tuesday 20 April 2010

विजया बैंक - लम्बे समय घोडा

विजया बैंक पिछले चार सालों से लगातार लाभांश देता रहा है। इस बार भी उसकी बोर्ड मीटिंग 30 अप्रैल को है जिसमें वित्त वर्ष 2009-10 के नतीजों के साथ ही लाभांश देने पर विचार किया जाएगा। मंगलवार को उसका शेयर बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) में 2.58 फीसदी बढ़कर 49.70 रुपए और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) में 2.79 फीसदी बढ़कर 49.75 रुपए पर बंद हुआ है। यह शेयर बीएसई-200 सूचकांक का हिस्सा है। इसलिए इस पर कोई सर्किट ब्रेकर लागू नहीं होता। यानी, इसका शेयर बेरोकटोक कितना भी बढ़ सकता है।


इस समय इसमें जबरदस्त ट्रेडिंग हो रही है। मंगलवार को बीएसई में इसके 3.79 लाख और एनएसई में 23.64 लाख शेयरों के सौदे हुए हैं। इस शेयर का अंकित मूल्य 10 रुपए है। सबसे खास बात यह है कि इसके शेयर का भाव उसकी बुक वैल्यू से नीचे चल रहा है। शेयर की बुक वैल्यू 53.47 रुपए है जबकि उसका बाजार भाव 50 रुपए के आसपास है। बैंकिंग सेक्टर के बारे में माना जाता है कि अगर किसी शेयर की बुक वैल्यू उसके बाजार भाव से ज्यादा है तो उसमें निवेश बेहद सुरक्षित है। बीएसई में 52 हफ्ते का इसका उच्चतम भाव 58.75 रुपए और न्यूनतम भाव 26 रुपए रहा है।

बैंक का कामकाज भी अच्छा चल रहा है। वित्त वर्ष 2008-09 में उसने 5237,82 करोड़ रुपए की आय पर 262.48 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया था और उसकी प्रति शेयर कमाई (ईपीएस) 6.05 रुपए थी। दिसंबर 2009 की तिमाही में उसकी आय 1344.31 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 124.57 करोड़ रुपए था। बैंक की मौजूदा चुकता पूंजी 433.52 करोड़ रुपए है। इसमें भारत सरकार की हिस्सेदारी 53.87 फीसदी है। उसका मौजूदा पूंजी पर्याप्तता अनुपात 13.34 फीसदी और एनपीए (गैर निष्पादित आस्तियां) 1.30 फीसदी है।

इस बार के बजट में वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने सरकारी बैंकों की पूंजी में 16,500 करोड़ रुपए लगाने की जो घोषणा की है, उसमें से 1200 करोड़ विजया बैंक को मिलने हैं। इसमें से 700 करोड़ रुपए उसे 31 मार्च 2010 तक मिल जाने थे। बैंक की अधिकृत पूंजी पहले ही 1500 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 3000 करोड़ रुपए की जा चुकी है। जाहिर है विजया बैंक लंबे निवेश के लिए बेहद सुरक्षित व मुफीद शेयर है।
(सौ. - CNI)

Wednesday 14 April 2010

म्यूचुअल फंड निवेश में होता है कम जोखिम

शेयर, डिबेंचर या एफडी में किये गये सभी निवेश में जोखिम होता है। कम्पनी के निष्पादन, उद्योग, पूंजी बाजार या अर्थव्यवस्था की स्थिति के कारण शेयर का मूल्य नीचे जा सकता है। आमतौर पर ऐसा माना जाता है कि जितने लम्बे समय के लिए निवेश किया जाता है, उतना ही कम जोखिम उसमें होता है। कम्पनियां ब्याज, मूलधन/बॉण्ड/जमा के भुगतान में दोषी हो सकती हैं। निवेश की ब्याज दर मुद्रास्फीति दर से कम हो सकती है, जिससे निवेशकों की क्रय–शक्ति घट सकती है।
जोखिम की आशंका को कभी भी खारिज नहीं किया जा सकता है, लेकिन कुशल प्रबन्धन से जोखिम को कम जरूर किया जा सकता है। म्यूचुअल फंड विविधीकृत निवेश और पेशेवर प्रबन्धन से जोखिम की संभावना घटा देते हैं। म्यूचुअल फंड प्रबन्धक अपने अनुभव और विशेज्ञता से सबसे उत्तम प्रतिभूतियों का ही चयन करते हैं और उचित समय पर उन्हें खरीदने/बेचने का काम करते हैं। वे विविधीकृत पोर्टफोलियो बनाने में मददगार होते हैं और जोखिम की आशंका कम से कम करके ज्यादा से ज्यादा आय की संभावना पैदा करते हैं।

Saturday 10 April 2010

इक्विटी फंडों ने रिटर्न में सेंसेक्स को मात किया

निवेशक खुद सीधे शेयर बाजार में पैसा लगाने की बजाय म्यूचुअल फंडों की इक्विटी स्कीमों से ज्यादा फायदा उठा सकते हैं। यह बात साबित होती है पिछले एक साल में ऐसी स्कीमों द्वारा दिए गए रिटर्न से। पिछले एक साल में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का मुख्य सूचकांक सेंसेक्स जहां करीब 70 फीसदी बढ़ा है, वहीं म्यूचुअल फंडों की इक्विटी स्कीमों का एनएवी (शुद्ध आस्ति मूल्य0 152 फीसदी तक बढ़ा है।
म्यूचुअल फंड के आंकड़े और शोध से जुड़ी संस्था वैल्यू रिसर्च द्वारा जुटाई गई जानकारी के मुताबिक स्माल कैप कंपनियों के शेयरों में निवेश करनेवाली स्कीमों ने पिछले साल भर में 152 फीसदी का रिटर्न दिया है। यानी साल भर पहले अगर आपने म्यूचुअल फंड की ऐसी किसी स्कीम में 10,000 रुपए लगाए होते तो आपकी रकम इस समय 25,200 रुपए हो गई होती। वहीं अगर यह पैसा आपने सेंसेक्स में शामिल 30 कंपनियों में लगाया होता तो वह बढ़कर 17,000 रुपए हुआ होता। इसी तरह इस दौरान म्यूचुअल फंडों की मिड कैप शेयरों में निवेश करनेवाली इक्विटी स्कीमों ने 125 फीसदी, टेक्नोलॉजी शेयरों पर आधारित स्कीमों ने 18 फीसदी, बैंकिंग शेयरों से जुड़ी स्कीमों ने 106 फीसदी और एफएमसीजी (हिंदुस्तान यूनिलीवर, मैरिको, आईटीसी व प्रॉक्टर एंड गैम्बल जैसी फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स निर्माता कंपनियां) में निवेश करनेवाली स्कीमों ने 74 फीसदी रिटर्न दिया है। वैसे, सावधानी की बात यह है कि शेयरों से जुड़ा जोखिम म्यूचुअल फंड के जरिए निवेश करने से कम जरूर होता है, खत्म नहीं होता। बाजार गिरता है तो इनको भी पूरा चूना लगता है।
म्यूचुअल फंड में निवेश का यह भी फायदा है कि पिछले साल अगस्त से इस पर कोई एंट्री लोड या एजेंट कमीशन नहीं काटा जाता। लेकिन जानकारों के मुताबिक म्यूचुअल फंड स्कीमों में निवेश ज्यादा समय के लिए करना चाहिए। पैसा लगाते समय आप पता कर लें कि किन स्कीमों ने पिछले तीन-चार सालों में अच्छा रिटर्न दिया है। या कोई नई स्कीम जो साफ-साफ बताती है कि वह किन-किन शेयरों या सेक्टरों में पैसा लगाएगी, उसे चुनकर निवेश किया जा सकता है। निवेश कैसे करें, इसके बारे में आपका बैंक भी पूरी जानकारी दे सकता है।

Chakry... Multibagger - 08/04/2010


Date ScripCode Scrip Type Equity Price Approx Holding Period Target Price
(in Rs.)
Remarks
4/5/2010 513097 Shivalik Bimetal   S F 32.00 2 Month 65.00
4/1/2010 506315 Borax   V P 57.00 2 Month 100.00
4/1/2010 Brushman Industries   H R H R 11.20 6 Month 34.00
3/31/2010 590041 Kaveri Tele  V P 82.25 6 Month 167.00

Chakry 09.04.2010



End of the day….

Market is in upswing. All major global players too are now becoming bullish in India. Though you labeled me as born bull at Sensex 8000 you could never see what I was able to see.
Correction is part of market. We should be used to accept this and use this correction for our advantage. Market will move 2 notches back and 3 notches forward till the time it does not come in new orbit. Thereafter you will see a vertical rally of 25% to see the end of the rally. Now Franklin Templeton too prefer Indian equities over Chinese peers because changes to market rules have given the South Asian nation "better corporate governance" and a "healthy" banking system as read in Bloomberg. I was advocating this ever since 2008.   
    
So far we were very aggressive in Metal and we have seen the results. Almost all the metal stocks including the KIC Metalics ( Cni research ) are on fire and the steam will not get over here. Keep tab on Tisco. Where the Bull Run will end in Tisco would be top of the commodity cycle. I fairly believe that Tisco is heading for Rs 1200 in next 12 months though there may be intermittent correction of around 20 % before testing these levels.
Now the new sunrise sector is AUTO ANCILLIARY. I had said in 2008 that it could be one of the biggest gained in next 2 years. Now Maruti going for expansion, Mahindra says cannot complete production due to component shortages etc is clear indication of auto ancillary going in top gear.
NRB Bearing, SS Duncan, SNL Bearing, Shivalik Bimetal and Jamna Auto are Cni picks and all these stocks are rolling. Shivalik is a specialized auto supplier which will get more OPM than others and also having association with LNM which itself makes investors to have this share in profile instead of keeping shares of fly by night companies. SS Duncan has land trigger. Jamna is sole supplier to Maruti. NRB is market leader in precision bearing where there is huge shortage. SNL is a subsidiary of NRB and is the youngest kid on the bloc.
Another industry which is becoming sun rise industry is chemicals. Bhageeradh and Vishnu both are out performing market.
Realty is my best bet for 2010 and small stocks like H B Estate, Network, Steel Strips Infra, Mukat Pipe, Dhampur Sugar Speciality will become super doper in next 2 years on value unlocking. Their fundamentals will not suggest right now as good bets but these stocks are the dark horses on assets theory.
To conquer fear is the beginning of wisdom

Friday 9 April 2010

म्यूचुअल फंडों में निवेश के फायदे

म्यूचुअल फंडों में निवेश के कई फायदे हैं।
1. पेशेवर प्रबंधन: म्यूचुअल फंडों में निवेश से आप अनुभवी और कुशल पेशेवरों की सेवाएं पा सकते हैं। म्यूचुअल फंडों से समिर्पत रिसर्च टीमें जुड़ी होती हैं, जो कम्पनी की निष्पादन क्षमता और सम्भावनाओं का विश्लेषण करती हैं और योजना के उद्देश्य प्राप्त करने के लिए उपयुक्त निवेश विकल्पों का चयन करती हैं।
2. विविधीकरण: म्यूचुअल फंड कई उद्योगों व क्षेत्रों की कम्पनियों में निवेश करते हैं। ऐसे विविधीकरण से जोखिमों की आशंका कम रह जाती है, क्योंकि कुछ स्टॉक यदि नीचे जाते हैं, तो कुछ ऊपर भी जा सकते हैं। आप किसी म्यूचुअल फंड में निवेश से यह विविधीकरण योजना काफी कम लागत में प्राप्त कर सकते हैं।
3. सुविधाजनक प्रशासन: म्यूचुअल फंडों में निवेश से कागजी काम कम हो जाता है, जिससे कई समस्याएं खुद ही समाप्त हो जाती हैं। जैसे डिलीवरी की समस्या, भुगतान में देरी और ब्रोकरों और कम्पनियों के साथ अनावश्क कार्यवाही। म्यूचुअल फंड आपका समय बचाने के साथ–साथ निवेश प्रक्रिया को आसान और सुविधाजनक भी बनाते हैं।
4. आय संभावना: मध्यम से लेकर लम्बी अवधि तक म्यूचुअल फंड उंची आय दिलाने की क्षमता रखते हैं, क्योंकि कुछ चुनी हुई प्रतिभूतियों के विविधीकृत समूह में निवेश करते हैं।
5. कम लागत: म्यूचुअल फंड पूंजी बाजार में निवेश का अपेक्षाकृत कम खर्चीला रास्ता है, क्योंकि इसमें ब्रोकरेज, संरक्षण और अन्य शुल्क के लाभ निवेशकों की निवेश लागत को कम कर देते हैं।
6. तरलता: ओपन एन्डेड योजनाओं में आप तुरन्त एनएवी सम्बन्धी मूल्य पर अपनी धनराशि वापस प्राप्त कर सकते हैं। क्लोज एन्डेड योजनाओं और अवकाश योजनाओं में आप अपने यूनिट स्टॉक एक्सचेंज में चालू बाजार मूल्य पर बेच सकते हैं या एनएवी सम्बन्धी मूल्य पर यूनिट दोबारा खरीदने की सुविधा प्राप्त कर सकते हैं।
7. पारदिर्शता: आपको अपनी योजना में किये गये निवेश–विशेष के तथ्यों, जैसे फंड प्रबन्धकों ने किस सम्पति में कितनी धनराशि निवेश की है, उनकी निवेश रणनीति और दृष्टिकोण क्या है, की जानकारी के साथ–साथ अपने निवेश के मूल्य के बारे में भी नियमित जानकारी मिलती रहती है।
8. लोच: सुनियोजित निवेश योजना यानी सिस्टेमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) जैसी विशेष योजनाओं के माध्यम से नियोजित निकास योजना यानी सिस्टेमैंटिक विदड्राअल प्लान (एसडब्ल्यूपी) लाभांश पुनर्निवेश योजनाओं के माध्यम से आप अपनी जरूरत और सुविधानुसार अपनी धनराशि निवेश कर सकते हैं या वापस प्राप्त कर सकते हैं।
9. पसंद की योजना: म्यूचुअल फंड आपकी विभिन्न जरूरतों के अनुसार आपको जीवन भर तरह–तरह की योजनाएं प्रदान करते रहते हैं।
10. कुशल निमयम: सभी म्यूचुअल फंड सेबी में पंजीकृत होते हैं और निवेशकों के हितों की रक्षा को ध्यान में बनाये गये निर्धारित नियमों के तहत ही अपना काम–काज करते हैं। म्यूचुअल फंडों की कार्यप्रणाली की सेबी द्वारा नियमित तौर पर निगरानी की जाती है।
(सोर्स : CNI अर्थकाम)

Thursday 8 April 2010


IDFC was facing stiff resistance at levels of Rs168-170 during last one month. Recently, the stock broke this crucial resistance level and closed above it with good volumes. Further it also closed above its 100-day DMA. It  is expected that the stock will rally in the medium term and traders can buy the stock in the range of Rs 170-173 for a target of Rs185. A stop loss of Rs 166 can be maintained. (Source : IIFL).

 (Source: Yahoo)

Friday 2 April 2010

Some Gists from John Templeton

Sir, John Templeton, founder of Templeton Funds gave some gists on the markets, Lets see in our indian context: -


Rule 1: Begin with a prayer
Prayer helps you think clearly and make fewer mistakes. Meditation is known to reduce anxiety and stress, helping in better decision making, specially in the indian context where the indian investor gets smses, broker calls, and what not before 9 in the morning, its good to get a seat aback, detach yourself from the scene and see it from the other perspective and than start your work
Rule 2: Invest for maximum total real return
It is important to only consider the total real return i.e. the money you make in your investment lifetime after inflation and taxes. Many investors get carried away by short-term movements. They tend to ignore the long-term opportunities. Thus, it is wise to invest for total real returns.
Rule 3: Remain flexible and open-minded
Flexibility comes from being agile. Open-mindedness is learning from new ideas and perspectives. Many old-timers missed India's IT sector growth in the early 90s, which gave multi- bagger stocks like Infosys and Wipro. Cut to early 2005, many people were enamored with IT sector. They neglected the infrastructure and banking sectors, whose stocks multiplied within a couple of years. Hence it is important to be flexible and open-minded.
Rule 4: Invest, do not trade or speculate
Almost all successful people in the stock market are investors and not traders. They invest for long-term and are patient. There are many investors who have become millionaires solely on return of one stock in their portfolio over a decade. Sure they bought lot of other stocks which went nowhere but the one or two stocks that did well made all the difference. Traders think of the market as a casino where you play daily to win, investors think of markets as a long-term wealth building exercise. Well this is which one sees from his own version, the gist is to be ready and nerves under you.
Rule 5: Search for bargainsJust as we buy garments at discount sale, we need to buy and not sell stocks when markets are crashing. In October 2008, many high dividend yielding stocks were sold for meager amount. People who bought them have reaped huge profits.
Rule 6: Don't buy market trends or economic theories
Remember the India story told when the sensex was at 21,000 and markets dipped to 7,500 within a year. The boom gave way to gloom, economists and market experts were expecting a correction not a crash. Thus, you should not rely on economic theories and market trends while investing as they are told only after the event has occurred.

Rule 7: Diversify across assets and across markets, there is safety in numbers
Last year, when stocks dipped, gold and bond mutual funds thrived, an investor who had invested across all three assets would have got negative return in stocks but would have made good returns in bonds and gold. Thus, it is advisable not to put all eggs in one basket.
To spread risk, investments should be diversified across assets such as:

- Stocks / equity mutual funds
- Bonds/ bond mutual funds
- Gold/ gold exchange traded funds
- Real estate
- Foreign mutual funds
- Traditional assets such as fixed deposits and public provident funds
Investment opportunities come with risks. When markets are high, investors want 100 per cent equity exposure and forget the downside risk. When markets have crashed they want 100 per cent safety and ignore the upside potential.

Rule 8: Do your homework or hire experts who will do it for you

Some of us invest based on tips and rumors, that is speculating not investing. You should read and research all investment ideas well, take time to understand the upside and downside of each investment before buying. Or else, you must engage quality financial advisors before investing.

Rule 9: Aggressively monitor your investments
No investment is forever. Expect change and react to it. There are no permanent bull market and bear market.
Way back the BSE Sensex had bluechip companies like Scindia Steamship, Asian Cables, Crompton Greaves, Mukand Iron, and Premier Auto.
Today, these companies have become small or midcaps. Some are not even quoted. Indices and markets keep changing. Investors should be on guard always.


Rule 10: Don’t Panic

Many people panic and exit the market when there is a dip. It is better to sell before a crash not after. Panic and euphoria are the two facets of same investors. Both selling after a crash and buying after a huge rally make no sense.
Rule 11: Learn from your mistakesThe only way to avoid mistakes is not investing which is the biggest mistake of all. Those who didn't invest after losing money in 1994 crash wouldn't have made money in 1999 boom. Those who lost money and exited in 2000 would have missed one the best times to invest in India from 2002 - 2008.

Rule 12: Beating the markets is a difficult task
Even professional fund managers have tough time doing it. Hence, an investor should remember that getting above market returns year after year is difficult.

Rule 13: Buy low
So simple in concept, yet so difficult to practice. Humans tend to think in herds and not alone. Only a brave person would have invested in October last year when people were shell shocked and wanted to forget about stocks.


Rule 14: Anyone who has all the answers doesn’t even know the questions

Markets make even the most brilliant fund managers humble. We have seen big fund managers make wrong decisions. An investor who thinks he knows everything doesn't usually know anything. Success is a process of seeking out answers to newer questions.

Rule 15: There is no free lunch
Never invest based on a tip or rumor. Everyone talks about their profits however small and no one talks about their losses however big.

Rule 16: Do not be fearful or negative too often
There will be corrections and crashes in the markets, but markets do recover and reward diligent and patient investors. This century or next it's still buy low and sell high.

Thursday 1 April 2010

Buy Dabur & Praj Industries - K R Choksey

DABUR
At the current market price of Rs. 159 stock trades at 39.5x FY09 EPS of 4.02, We recommend a “BUY” on the stock at CMP with a 12 month target price of Rs.192.

To view full report click here.

PRAJ INDUSTRIES

At current price of Rs 86 the stock is trading at 12.3x FY09 EPS of Rs.7.1. We recommend a “BUY” on the stock at CMP with a 12 month target price of Rs. 123.

To view full report click here.

Monday 29 March 2010

INTRADAY PICKS - 30/03/2010

Intraday Pick for 30/02/2010
=========================
Ruchi Soya - CMP: 99.25, Target: 102.00, SL: 97.50.
Mudra Lifestyle - CMP: 37.35, Target: 38.50, SL: 39.50.

Saturday 27 March 2010

SATYAM : Back on its feet (BNP PARIBAS)

We acknowledge the risks that Satyam presents given the lack of audited financials and the near-term overhang of L&T likely selling its stake. However, we believe Satyam still makes for a compelling turnaround story and that the audited results could reflect a better picture than investors fear. We believe an eventual merger with Tech Mahindra would be synergistic and could re-rate both the stocks ahead of the event. We also estimate Satyam has about USD700m or 28% of its market cap in cash that it can use strategically. Finally, large cap IT stocks have rallied 14-19% from their YTD lows, while Satyam is up only 3%, hence presents a case for a catch-up. Retain BUY.

To see full report, click here.

Friday 26 March 2010

DishTV : 36% Upside Potential

At CMP of Rs 36.6, the stock trades at 5.1x TTM EV/sales of Rs 987 crore.
We believe the industry is looking attractive mainly on back of digitalization
growth with HITS policy approved by cabinet. To capture the growth coming
Dish TV ahead we believe Dish TV is better placed than its peer group. We
recommend ‘BUY’ on the stock with a price target of Rs 50
representing upside potential of 36%.

To view complete report click here.

Sunday 14 February 2010

BUY ASHOK LEYLAND - India Infoline

Ashok Leyland (Q3 FY10) – Market Performer (Target Price Rs54, Upside 4.5%)

* Net sales jump 81.4% yoy to Rs18.2bn on back of 101.4% yoy volume growth.
* Operating profit surged 148% yoy and OPM expanded by 305bps yoy to 11.4%
* Employee cost as a percentage of sales decline by 268bps yoy on back of benefits of operating leverage
* Upgrade the stock to Market Performer from SELL