Tuesday 30 May 2017

म्युचुअल फंड में एक मुश्त निवेष से पहले ध्यान रखे इन बातो का .....

संयम बनाये रखना इक्वीटी फंड में एक मुश्त पैसा लगाने का पहला सिद्धांत हैं ‍‍। अधिकतर लोगो को SIP के फायदे पता हैं। मैं पहले SIP पर एक लेख लिख चुका हुं। आप चाहे तो लेख इस लिंक पर पढ सकते हैं।

SIP एक निवेषक जो बाजार की पेचिदगीयो की सिमीत जानकारी रखता हैं, उसके लिए एक सरल और प्रभावी साधन हैं। पर तब क्या करे जब कही से एक मुश्त पैसे की आवक हुई हो? जैसे बोनस मिला हो या कोई संपत्ती बैची हो .... मोका तब हाथ लगता हैं जब हमारे पास अच्छी रकम हैंं और बाजार मैं एक मुश्त पैसे लगाने का मौका भी हैं। अब प्रष्न यह उठता हैं कि कैसे आकलन किया जाए की निवेष का सही मौका अभी हैं या कब होगा?

पुरी निश्चीतता के साथ कहना कि यही सही मौका है गलत होगा। बाजार शत प्रतीशत सटीक आकलन करना असंभव सा हैं। कितने भी अनुभव के साथ, कोई भी बाजार के निम्नतम और उच्चतम स्तर का पता नही लगा सकता। एक आंकलनकर्ता सिर्फ अंदाजा ही लगा सकता हैं। इस बात का जरूर ध्यान रखा जा सकता हैं कि आंकलन अगर सटीक नही तो सटीक के नजदीक हो। इसका एक तरीका हैं।

निफ्टी (Nifty) का मुल्यांकन

हमे पता हैं की निफ्टी पचास (50) कंपनीयो के आधार पर आंकलीत होता हैं। इसके स्तर की गणना का एक तरीका हैं निफ्‍टी के  P/E ratio का उपयोग करना। 

P/E ratio की गणना के लिए  पिछली च्यार तिमाही की कमाई (Earnings) का आंकलन करना चाहीए। आने वाले साल की अनुमानीत कमाई की गणना P/E ratio के आंकलन के लिए सही साबीत नही हुई हैं। पिछले 20 सालो के अनुभव के हिसाब से निफ्टी ने निम्नतम निवेष योग्य स्तर P/E के 10-12 गुणांक पर बनाया हैं और इसी तरह उच्चतम निवेष योग्य स्तर P/E के 25-28 गुणांक पर बनाया हैं। आप इन्ही स्तरो का उपयोग कर म्युचुअल फंड में एक मुश्त निवेष का सही समय पता कर सकते हैं। उदाहरण के तौर पर अगर निफ्टी 14 के गुणांक पर हैं और निवेष किया जाए तो उचित मुनाफा कमाया जा सकता हैं। इसके उलट अगर निफ्टी 14 के गुणांक पर हैं और निवेष किया गया हैं तो नुक्सान ना भी हो तो मुनाफा भी ना के बराबर ही होगा।

बात हैं संयम की और लंबे नजरीए की

एक पौधा लगाया जाए तो उसे फलने फुलने का समय तो देना होता हैं। उसी तरह निवेष के साल भर में ही यह अपेक्षा करना की अच्छा खासा मुनाफा हो जाए यह मुमकीन नहीं। भई सब्र तो करना पडेगा। जैसे किसी ने अगर जनुअरी 2008 मे जब निफ्टी 22 के गुणांक से उपर था तब निवेष किया होता तो उसे सप्टेंबर 2008 की गिरावट के बाद निवेष लाल के निशान पर दिखा होगा। उन दिनो बाजार ने अपना निम्नतम स्तर मार्च 2009 में लिया था। देखा जाए तो यह सही समय था निवेष का। हालाकी बाजार इसके बाद उपर उठा ओर निवेष करने वालो को अच्छा मुनाफा भी मिला। वरना ऐसे भी लोग थे जो गिरावट में डर गये और नुकसान उठा कर बाजार से बाहर हो गये । फिर निवेष करने से परहेज कर लिया।

इस बात को एक उदाहरण से भी समझा जा सकता हैं। साल 2002 में तकनिक क्षेत्रो के फंड निचे के स्तर पे थे और इस स्तर पर निवेष सही निर्णय माना गया था परंतु बावजुद इसके बाजार और निचे गिरा। म्युचुअल फंड भी 30% तक निचे गिरे। लेकिन यही म्युचुअल फंड इसके बाद आने वाले पांच सालो में कई गुना मुनाफा देने वाले साबीत हुए। बात सही निवेष के बाद सबर की हैं।

अगर निवेष किए जाने वाले पैसे कि जरूरत थोडे समय (साल भर) मे होने वाली है तो बेहतर हैं कि निवेष नकद साधन जैसे एफ-डी मे या लिक्वीड फंड मे किया जाए। इन साधनो में मुनाफा कम होगा लेकिन पैसा जरूरत पडने पर तुरंत बिना नुकसान के निकाला जा सकता हैं। 

पैसा है पर सही समय नही

अगर निवेष के लिए पैसा हैं पर यह सही समय नही। ऐसे समय मे एक उपाय यह हैं कि निवेष Ultra-short term fund या Liquid fund मे किया जाए और STP प्लान के द्वारा मासीक किष्तो में एक अच्छे फंड मे लगाया जाए। कम से कम निवेष पर किसी साधारण खाते मे ब्याज से ज्यादा कमाई होगी।

(संदर्भ: अनील रेगो का  मनी कंट्आरोल डाॅट काॅम  पर आर्टिकल )

Saturday 20 May 2017

किसानों का कर्ज और कर्जमाफी या सिर्फ एक राजनैतिक मुद्दा

हम सालों से देख रहे हैं कि किसानों को हर साल कर्ज दिया जाता हैं, किसान कर्ज नहीं चुका पाते हैं और केंन्द्र सरकार या राज्य सरकार कर्ज माफ करती हैं। जहां तक बात तंगहाली में फंसे किसानों को कर्ज के फंदे से बचाने की हैं, यह सही लगता हैं।

फिर बात राजनीतिक विवेक कि भी है, अमूमन प्रदेश सरकार चुनावी वादा करती हैं कर्ज माफ करने का, यही योगी सरकार ने किया । अब योगी इस कवायद में हैं कि चुनावी वादे को कैसे निभाया जाये। कैसे 94 लाख किसानों के 36,359 करोड़ रुपए के ऋण माफ किए जाए। आखिरकार वादा किया हैं तो निभाना पडेगा। यही राजनैतिक विवेक कहता हैं। कहा जा रहा हैं कि प्रदेश सरकार बैंकों का सारा ऋण अपने खाते से चुकाएगी। इसका सिधा फायदा हर साल कि तरह जहां किसानों को होगा वहीं बैंकों का फंसा हुआ ऋण भी निकालने का इंतज़ाम हो जायेगा।

पर यह सिलसिला है कि सालों से चलता आ रहा हैं पर समस्या का अंत नही नजर आ रहा हैं। एक तरफ किसान कर्ज उतार पाने की स्थिति में नहीं है। दूसरी तरफ कृषि ऋण का बजट लक्ष्य हर साल बढ़ता गया है। वित्त वर्ष 2007-08 में 2.55 लाख करोड़ रुपए बांटे गए। 2016-17 कि पहली छमाही में 7.56 लाख करोड़ रुपए के ऋण बांटे जा चुके थे। गौर किए जाने बात यह हैं कि चालू वित्त वर्ष 2017-18 के लिए बजट में कृषि ऋण का लक्ष्य 10 लाख करोड़ रुपए रखा गया है। वही इस साल खुद भारत सरकार कुल 5.8 लाख करोड़ रुपए का कर्ज लेने जा रही है। आर्थिक विवेक के हिसाब से सरकारी खजाने पर पडने वाले सालाना आर्थिक बोज को देखा जाये तो यही कहा जा सकता हैं कि किसानों की कर्जमाफी गलत है। रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल से लेकर देश के सबसे बड़े बैंक, एसबीआई की चेयरमैन अरुंधति भट्टाचार्य तक इसका विरोध कर चुकी हैं।

सवाल, क्या कर्जमाफी किसानों की समस्या का समाधान है? कुछ मंथन करने वाले बिंदु इस प्रकार हैं :

·        वित्त वर्ष 2009-10 से किसानों को तीन लाख रुपए तक का फसल ऋण मात्र 4 प्रतिशत सालाना के ब्याज पर मिलता आ रहा है।
·        आखिर किसान 4 प्रतिशत सालाना ब्याज भी क्यों नहीं दे पाता?
·        शहरों में सब्जी व ठेले-खोमचे वाले तक हर दिन 2-3 प्रतिशत (सालाना 730 से 1095 प्रतिशत) ब्याज देकर भी धंधा व घर-परिवार चला लेते हैं?

बात साफ है कि कर्ज देना या माफ करना कृषि समस्या का समाधान नहीं है। कृषि घाटे का सौदा बन चुकी है, सरकार किसानो को इतना कर्जखोर बनाने पर क्यों तुली हुई है? एक और सवाल यह भी उठता हैं कि कृषि के नाम पर इतना कर्ज लेता कौन है? गौर करने वाली बात यह भी हैं कि अधिकांश फसल ऋण तब बंटते हैं, जब किसानों के खेत में कोई फसल होती ही नहीं।

कर्ज देकर माफ करना क्या एक रिवाज बन रहा हैं?
(सौ. दैनिक जागरण)

Systematic Transfer Funds - a suitable option for lump sum investment in Mutual Funds

Systematic Transfer Plan (STP) is a way of investing lump sum amount in a scheme and regularly transferring a fixed or variable amount into another scheme.

Systematic Transfer Plan (STP) is a way of investing lump sum amount in a scheme and regularly transferring a fixed or variable amount into another scheme.



 
STP helps the investors in case of a volatile market by periodically transfer funds from one scheme (source scheme) to another (target scheme) and help them save the effort and time by compressing multiple instructions required for redemption from one scheme to invest in the other into a single instruction.
 
If the market is doing well, transfers are usually made from debt funds to equity funds and vice versa if the market is not performing well. The STP can be classified based on the amount transferred from the source scheme to the target scheme.
 
If a fixed sum is transferred from the source to the target scheme, then it's called Fixed STP, and if the sum transferred is the profit part of the investment of source scheme, then its called Capital Appreciation STP.

Friday 19 May 2017

म्युचुअल फंड में सीस्टमेटीक इंवेस्टमेंट बेहतर निवेश का तरिका


सिप के साथ स्विप करें म्यूचुअल फंड (Reposted)

सिस्टमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान (सिप) इस समय म्यूचुअल फंड में निवेश का सबसे लोकप्रिय तरीका बन गया है जिसमें नियमित अंतराल पर रकम निवेश की जाती है। लेकिन इनके सिस्टमैटिक विदड्रॉअल प्लान (एसडब्ल्यूपी या स्विप) भी हैं जिनसे निवेशक नियमित अंतराल पर कुछ पैसा अपने निवेश में से निकाल सकते हैं। निकाला गया पैसा किसी ओर योजना में निवेश किया जा सकता है या फिर कुछ ओर खर्चों के लिए इसका उपयोग कर सकते हैं। अमूमन स्विप को सेवानिवृत्ति के बाद होने वाले नियमित खर्चों को पूरा करने के लिए अच्छे से उपयोग किया जा सकता है।
स्विप से नियमित अंतराल के बाद कुछ नियत राशि निकाली जा सकती है। यह निकासी मासिक, तिमाही, छमाही या वार्षिक स्तर पर कर सकते हैं। इस योजना में समय अंतराल निवेशक को अपनी जरूरत और प्रतिबद्धताओं के अनुसार चुनना चाहिए। स्विप के कई लाभ हैं।  यह आपके निवेश से एक नियमित समय अंतराल के बाद आपको आपकी चाही गई रकम तो देते ही हैं, साथ में आपकी मूल रकम सीधे बाजार में निवेश रहती है, तो निवेश पर वापसी बहुत अच्छी होने की उम्मीद होती है। आपका मूल निवेश मुद्रास्फ़ीति से भी दो-दो हाथ करता रहता है और स्विप आपका भविष्य सुरक्षित करने में मददगार साबित होता है।
स्विप में आप शेयर बाजार के उतार चढ़ाव को भी झेल सकते हैं। नियमित अंतराल के बाद रकम निकासी से औसत मूल्य अच्छा मिलता है और निवेशक बाजार के उतार चढ़ाव का फायदा ले सकता है।
स्विप कैसे काम करती है: जब आप म्यूचुअल फंड खरीदते हैं तो उसे स्विप में ले सकते हैं। इसमें आपको बताना होता है कि कितना रुपया हर महीने/तिमाही में कौन-सी तारीख को चाहिए। जिस दिन म्यूचुअल फ़ंड खरीदा जाता है, उस दिन की एनएवी (शुद्ध आस्ति मूल्य) की दर से आपको आपके निवेश की यूनिटें मिल जाती हैं। फ़िर अगले महीने से आपकी चाही गई रकम उन यूनिटों में से बेचकर आपको दे दी जाती हैं। इससे फ़ायदा यह है कि अगर लंबी अवधि में देखें तो हम बाजार के उतार-चढ़ाव बहुत ज्यादा पाएंगे और ये उनसे लड़ने में सक्षम हैं।
उदाहरण: एक व्यक्ति वर्ष 2002 में सेवानिवृत्त हुए। उन्होंने वित्तीय विशेषज्ञ की सेवाएं लीं और अपनी सेवानिवृत्ति राशि का 20 लाख रुपया स्विप में लगाने का निर्णय लिया। उन्होंने 9 जुलाई 2002 को रिलायंस ग्रोथ ग्रोथ म्यूचुअल फ़ंड लिया। 9 जुलाई 2002 की एनएवी 31.185 रुपए थी और उन्हें 64,133.3975 यूनिट मिलीं।
अब हर माह उन्हें शुरू की दो तारीख को ही 20,000 रुपए मिल जाते थे, और उन्होंने उसे आज तक जारी रखा है, जैसा कि आप सभी ने देखा है कि इन पिछले आठ वर्षों में बाजार ने अपने कई उतार चढ़ाव देखें हैं और कई बने हैं और कई बर्बाद हुए हैं। आज अगर उनके फ़ंड की उन्नति को देखा जाए तो आप पाएंगे कि पिछले आठ वर्षों में उन्होंने स्विप से 19.20 लाख लाख रुपये तो निकाले ही हैं और आज उनके पास 45,577.8792 यूनिट उपलब्ध हैं जिसकी एनएवी 459.8468 रुपए है। और, कुल निवेश की राशि आज हो गई है दो करोड़ से भी ज्यादा। जी हाँ बिल्कुल सही पढ़ा आपने उनकी आज की रकम है 2,05,69,602.25 रुपए।
कर प्रावधानअभी तक पहले वर्ष शार्ट टर्म कैपिटल गैन टैक्स देना होता है। जितनी यूनिट आपकी बाजार में बिकी हैं, उस हर यूनिट पर होने वाले फ़ायदे पर और एक वर्ष के बाद लांग टर्म कैपिटल गैन टैक्स से मुक्त है। पर इंडेक्सेशन से कर लगता है। लेकिन नई कर संहिता में लांग टर्म कैपिटल गैन टैक्स की फ़िर से बहाली की गई है, जिसमें निवेशक को हर यूनिट पर होने वाले फ़ायदे पर अब एक वर्ष की अवधि के बाद भी कर देना होगा और इंडेक्सेशन के ऊपर भी कर देय होगा। लेकिन इतना कर देने के बाबजूद भी यह योजना बहुत ही अच्छी है, जोखिमपूर्ण भी है। पर इसके रिटर्न की तुलना किसी और वित्तीय उत्पाद से करना बहुत ही मुश्किल है।
वित्तीय विशेषज्ञ की सेवाएं: मेरी राय है कि जब आप बाजार आधारित कोई भी उत्पाद खरीदते हैं, और अगर खुद विशेषज्ञ नहीं हैं तो वित्तीय विशेषज्ञ की समय समय पर सेवाएं जरुर लें जो आपके धन को सुरक्षित रखने में आपकी मदद करेगा। जैसे पहले उदाहरण में वित्तीय विशेषज्ञ की सेवाएं केवल निवेश के समय ही ली गईं। अगर नियमित रुप से लेते तो यही रकम लगभग चार करोड़ हो गई होती। वित्तीय विशेषज्ञ अपनी सेवाओं के लिए कुछ मामूली सा शुल्क लेते हैं। पर हमें वह शुल्क ज्यादा लगता है। अगर थोड़ा-सा शुल्क देकर आपको अपने निवेश से ज्यादा बेहतर वापसी मिल रही है तो हर्ज ही क्या है।
विवेक रस्तोगी (लेखक वित्तीय मामलों के विशेषज्ञ हैं और कल्पतरु नाम का अपना ब्लॉग भी चलाते हैं। यह लेख उसी ब्लॉग से साभार लिया गया है)
(Source : Earthkam)