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Friday, 27 August 2010
Thursday, 5 August 2010
गोल्ड ईटीएफ में निवेश करे
यदि आप एक रूढ़िवादी / conservative निवेशक हैं तो आपके पोर्टफोलियो का 15-20 फीसदी के आसपास सोने में निवेशित होना चाहिए. आक्रामक निवेशक पोर्टफोलियो का 5-10 फीसदी तक ही गोल्ड में निवेश कर जोखिम उठा सकते हैं.
गोल्ड ईटीएफ के माध्यम से निवेश करे क्युकी वे असल (Actual) सोना खरीदने की तुलना में सुरक्षित और लागत प्रभावी हैं. ईटीएफ Fund आपके लिए सोना खरीदता है और आपके डीमैट खाते में इकाइयों (units) के रूप में इसका उल्लेख किया जाता है. इसका मतलब है एक खरीदार के लिए एक बैंक की तिजोरी या अन्य भंडारण पर पैसा खर्च करने की जरूरत नहीं है. ईटीएफ के द्वारा आप 1g सोने को भी खरीद सकते हैं और इसमें जौहरी या बैंक का कोई प्रोफिट मार्जिन शामिल नहीं होता. इसके अलावा, निवेशक ईटीएफ को आसानी से बेच सकता हैं.
ईटीएफ अधिक कर (टैक्स) कुशल भी होते हैं. अगर आप भौतिक (Actual) सोना खरीदते हैं तो तिन वर्ष के भीतर बेचने पर आपको अल्पावधि (शोर्ट-टर्म) पूंजी लाभ कर (टैक्स) देना पड़ता हैं जबकि ईटीएफ के मामले में, एक वर्ष के बाद इकाइंयो को बेचने पर लंबी अवधि (लॉन्ग-टर्म) कर (टैक्स) लगता हैं. के पूंजी लाभ (यानि 10 या 20 प्रतिशत, सूचीकरण लाभ के साथ).
मेरी सलाह में आप गोल्ड इटीऍफ़ को अपने पोर्टफोलियो में जरुर तवज्जो दे और भौतिक (Actual) सोना खरीदने के बजाय ईटीएफ में निवेश करे.
(सौ. बिज़नस स्टेंडर्ड)
गोल्ड ईटीएफ के माध्यम से निवेश करे क्युकी वे असल (Actual) सोना खरीदने की तुलना में सुरक्षित और लागत प्रभावी हैं. ईटीएफ Fund आपके लिए सोना खरीदता है और आपके डीमैट खाते में इकाइयों (units) के रूप में इसका उल्लेख किया जाता है. इसका मतलब है एक खरीदार के लिए एक बैंक की तिजोरी या अन्य भंडारण पर पैसा खर्च करने की जरूरत नहीं है. ईटीएफ के द्वारा आप 1g सोने को भी खरीद सकते हैं और इसमें जौहरी या बैंक का कोई प्रोफिट मार्जिन शामिल नहीं होता. इसके अलावा, निवेशक ईटीएफ को आसानी से बेच सकता हैं.
ईटीएफ अधिक कर (टैक्स) कुशल भी होते हैं. अगर आप भौतिक (Actual) सोना खरीदते हैं तो तिन वर्ष के भीतर बेचने पर आपको अल्पावधि (शोर्ट-टर्म) पूंजी लाभ कर (टैक्स) देना पड़ता हैं जबकि ईटीएफ के मामले में, एक वर्ष के बाद इकाइंयो को बेचने पर लंबी अवधि (लॉन्ग-टर्म) कर (टैक्स) लगता हैं. के पूंजी लाभ (यानि 10 या 20 प्रतिशत, सूचीकरण लाभ के साथ).
मेरी सलाह में आप गोल्ड इटीऍफ़ को अपने पोर्टफोलियो में जरुर तवज्जो दे और भौतिक (Actual) सोना खरीदने के बजाय ईटीएफ में निवेश करे.
(सौ. बिज़नस स्टेंडर्ड)
Tuesday, 3 August 2010
सिप के साथ स्विप करें म्यूचुअल फंड
सिस्टमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान (सिप) इस समय म्यूचुअल फंड में निवेश का सबसे लोकप्रिय तरीका बन गया है जिसमें नियमित अंतराल पर रकम निवेश की जाती है। लेकिन इनके सिस्टमैटिक विदड्रॉअल प्लान (एसडब्ल्यूपी या स्विप) भी हैं जिनसे निवेशक नियमित अंतराल पर कुछ पैसा अपने निवेश में से निकाल सकते हैं। निकाला गया पैसा किसी ओर योजना में निवेश किया जा सकता है या फिर कुछ ओर खर्चों के लिए इसका उपयोग कर सकते हैं। अमूमन स्विप को सेवानिवृत्ति के बाद होने वाले नियमित खर्चों को पूरा करने के लिए अच्छे से उपयोग किया जा सकता है।
स्विप से नियमित अंतराल के बाद कुछ नियत राशि निकाली जा सकती है। यह निकासी मासिक, तिमाही, छमाही या वार्षिक स्तर पर कर सकते हैं। इस योजना में समय अंतराल निवेशक को अपनी जरूरत और प्रतिबद्धताओं के अनुसार चुनना चाहिए। स्विप के कई लाभ हैं। यह आपके निवेश से एक नियमित समय अंतराल के बाद आपको आपकी चाही गई रकम तो देते ही हैं, साथ में आपकी मूल रकम सीधे बाजार में निवेश रहती है, तो निवेश पर वापसी बहुत अच्छी होने की उम्मीद होती है। आपका मूल निवेश मुद्रास्फ़ीति से भी दो-दो हाथ करता रहता है और स्विप आपका भविष्य सुरक्षित करने में मददगार साबित होता है।
स्विप में आप शेयर बाजार के उतार चढ़ाव को भी झेल सकते हैं। नियमित अंतराल के बाद रकम निकासी से औसत मूल्य अच्छा मिलता है और निवेशक बाजार के उतार चढ़ाव का फायदा ले सकता है।
स्विप कैसे काम करती है: जब आप म्यूचुअल फंड खरीदते हैं तो उसे स्विप में ले सकते हैं। इसमें आपको बताना होता है कि कितना रुपया हर महीने/तिमाही में कौन-सी तारीख को चाहिए। जिस दिन म्यूचुअल फ़ंड खरीदा जाता है, उस दिन की एनएवी (शुद्ध आस्ति मूल्य) की दर से आपको आपके निवेश की यूनिटें मिल जाती हैं। फ़िर अगले महीने से आपकी चाही गई रकम उन यूनिटों में से बेचकर आपको दे दी जाती हैं। इससे फ़ायदा यह है कि अगर लंबी अवधि में देखें तो हम बाजार के उतार-चढ़ाव बहुत ज्यादा पाएंगे और ये उनसे लड़ने में सक्षम हैं।
उदाहरण: एक व्यक्ति वर्ष 2002 में सेवानिवृत्त हुए। उन्होंने वित्तीय विशेषज्ञ की सेवाएं लीं और अपनी सेवानिवृत्ति राशि का 20 लाख रुपया स्विप में लगाने का निर्णय लिया। उन्होंने 9 जुलाई 2002 को रिलायंस ग्रोथ ग्रोथ म्यूचुअल फ़ंड लिया। 9 जुलाई 2002 की एनएवी 31.185 रुपए थी और उन्हें 64,133.3975 यूनिट मिलीं।
अब हर माह उन्हें शुरू की दो तारीख को ही 20,000 रुपए मिल जाते थे, और उन्होंने उसे आज तक जारी रखा है, जैसा कि आप सभी ने देखा है कि इन पिछले आठ वर्षों में बाजार ने अपने कई उतार चढ़ाव देखें हैं और कई बने हैं और कई बर्बाद हुए हैं। आज अगर उनके फ़ंड की उन्नति को देखा जाए तो आप पाएंगे कि पिछले आठ वर्षों में उन्होंने स्विप से 19.20 लाख लाख रुपये तो निकाले ही हैं और आज उनके पास 45,577.8792 यूनिट उपलब्ध हैं जिसकी एनएवी 459.8468 रुपए है। और, कुल निवेश की राशि आज हो गई है दो करोड़ से भी ज्यादा। जी हाँ बिल्कुल सही पढ़ा आपने उनकी आज की रकम है 2,05,69,602.25 रुपए।
कर प्रावधान: अभी तक पहले वर्ष शार्ट टर्म कैपिटल गैन टैक्स देना होता है। जितनी यूनिट आपकी बाजार में बिकी हैं, उस हर यूनिट पर होने वाले फ़ायदे पर और एक वर्ष के बाद लांग टर्म कैपिटल गैन टैक्स से मुक्त है। पर इंडेक्सेशन से कर लगता है। लेकिन नई कर संहिता में लांग टर्म कैपिटल गैन टैक्स की फ़िर से बहाली की गई है, जिसमें निवेशक को हर यूनिट पर होने वाले फ़ायदे पर अब एक वर्ष की अवधि के बाद भी कर देना होगा और इंडेक्सेशन के ऊपर भी कर देय होगा। लेकिन इतना कर देने के बाबजूद भी यह योजना बहुत ही अच्छी है, जोखिमपूर्ण भी है। पर इसके रिटर्न की तुलना किसी और वित्तीय उत्पाद से करना बहुत ही मुश्किल है।
वित्तीय विशेषज्ञ की सेवाएं: मेरी राय है कि जब आप बाजार आधारित कोई भी उत्पाद खरीदते हैं, और अगर खुद विशेषज्ञ नहीं हैं तो वित्तीय विशेषज्ञ की समय समय पर सेवाएं जरुर लें जो आपके धन को सुरक्षित रखने में आपकी मदद करेगा। जैसे पहले उदाहरण में वित्तीय विशेषज्ञ की सेवाएं केवल निवेश के समय ही ली गईं। अगर नियमित रुप से लेते तो यही रकम लगभग चार करोड़ हो गई होती। वित्तीय विशेषज्ञ अपनी सेवाओं के लिए कुछ मामूली सा शुल्क लेते हैं। पर हमें वह शुल्क ज्यादा लगता है। अगर थोड़ा-सा शुल्क देकर आपको अपने निवेश से ज्यादा बेहतर वापसी मिल रही है तो हर्ज ही क्या है।
- विवेक रस्तोगी (लेखक वित्तीय मामलों के विशेषज्ञ हैं और कल्पतरु नाम का अपना ब्लॉग भी चलाते हैं। यह लेख उसी ब्लॉग से साभार लिया गया है)
(Source : Earthkam)
स्विप से नियमित अंतराल के बाद कुछ नियत राशि निकाली जा सकती है। यह निकासी मासिक, तिमाही, छमाही या वार्षिक स्तर पर कर सकते हैं। इस योजना में समय अंतराल निवेशक को अपनी जरूरत और प्रतिबद्धताओं के अनुसार चुनना चाहिए। स्विप के कई लाभ हैं। यह आपके निवेश से एक नियमित समय अंतराल के बाद आपको आपकी चाही गई रकम तो देते ही हैं, साथ में आपकी मूल रकम सीधे बाजार में निवेश रहती है, तो निवेश पर वापसी बहुत अच्छी होने की उम्मीद होती है। आपका मूल निवेश मुद्रास्फ़ीति से भी दो-दो हाथ करता रहता है और स्विप आपका भविष्य सुरक्षित करने में मददगार साबित होता है।
स्विप में आप शेयर बाजार के उतार चढ़ाव को भी झेल सकते हैं। नियमित अंतराल के बाद रकम निकासी से औसत मूल्य अच्छा मिलता है और निवेशक बाजार के उतार चढ़ाव का फायदा ले सकता है।
स्विप कैसे काम करती है: जब आप म्यूचुअल फंड खरीदते हैं तो उसे स्विप में ले सकते हैं। इसमें आपको बताना होता है कि कितना रुपया हर महीने/तिमाही में कौन-सी तारीख को चाहिए। जिस दिन म्यूचुअल फ़ंड खरीदा जाता है, उस दिन की एनएवी (शुद्ध आस्ति मूल्य) की दर से आपको आपके निवेश की यूनिटें मिल जाती हैं। फ़िर अगले महीने से आपकी चाही गई रकम उन यूनिटों में से बेचकर आपको दे दी जाती हैं। इससे फ़ायदा यह है कि अगर लंबी अवधि में देखें तो हम बाजार के उतार-चढ़ाव बहुत ज्यादा पाएंगे और ये उनसे लड़ने में सक्षम हैं।
उदाहरण: एक व्यक्ति वर्ष 2002 में सेवानिवृत्त हुए। उन्होंने वित्तीय विशेषज्ञ की सेवाएं लीं और अपनी सेवानिवृत्ति राशि का 20 लाख रुपया स्विप में लगाने का निर्णय लिया। उन्होंने 9 जुलाई 2002 को रिलायंस ग्रोथ ग्रोथ म्यूचुअल फ़ंड लिया। 9 जुलाई 2002 की एनएवी 31.185 रुपए थी और उन्हें 64,133.3975 यूनिट मिलीं।
अब हर माह उन्हें शुरू की दो तारीख को ही 20,000 रुपए मिल जाते थे, और उन्होंने उसे आज तक जारी रखा है, जैसा कि आप सभी ने देखा है कि इन पिछले आठ वर्षों में बाजार ने अपने कई उतार चढ़ाव देखें हैं और कई बने हैं और कई बर्बाद हुए हैं। आज अगर उनके फ़ंड की उन्नति को देखा जाए तो आप पाएंगे कि पिछले आठ वर्षों में उन्होंने स्विप से 19.20 लाख लाख रुपये तो निकाले ही हैं और आज उनके पास 45,577.8792 यूनिट उपलब्ध हैं जिसकी एनएवी 459.8468 रुपए है। और, कुल निवेश की राशि आज हो गई है दो करोड़ से भी ज्यादा। जी हाँ बिल्कुल सही पढ़ा आपने उनकी आज की रकम है 2,05,69,602.25 रुपए।
कर प्रावधान: अभी तक पहले वर्ष शार्ट टर्म कैपिटल गैन टैक्स देना होता है। जितनी यूनिट आपकी बाजार में बिकी हैं, उस हर यूनिट पर होने वाले फ़ायदे पर और एक वर्ष के बाद लांग टर्म कैपिटल गैन टैक्स से मुक्त है। पर इंडेक्सेशन से कर लगता है। लेकिन नई कर संहिता में लांग टर्म कैपिटल गैन टैक्स की फ़िर से बहाली की गई है, जिसमें निवेशक को हर यूनिट पर होने वाले फ़ायदे पर अब एक वर्ष की अवधि के बाद भी कर देना होगा और इंडेक्सेशन के ऊपर भी कर देय होगा। लेकिन इतना कर देने के बाबजूद भी यह योजना बहुत ही अच्छी है, जोखिमपूर्ण भी है। पर इसके रिटर्न की तुलना किसी और वित्तीय उत्पाद से करना बहुत ही मुश्किल है।
वित्तीय विशेषज्ञ की सेवाएं: मेरी राय है कि जब आप बाजार आधारित कोई भी उत्पाद खरीदते हैं, और अगर खुद विशेषज्ञ नहीं हैं तो वित्तीय विशेषज्ञ की समय समय पर सेवाएं जरुर लें जो आपके धन को सुरक्षित रखने में आपकी मदद करेगा। जैसे पहले उदाहरण में वित्तीय विशेषज्ञ की सेवाएं केवल निवेश के समय ही ली गईं। अगर नियमित रुप से लेते तो यही रकम लगभग चार करोड़ हो गई होती। वित्तीय विशेषज्ञ अपनी सेवाओं के लिए कुछ मामूली सा शुल्क लेते हैं। पर हमें वह शुल्क ज्यादा लगता है। अगर थोड़ा-सा शुल्क देकर आपको अपने निवेश से ज्यादा बेहतर वापसी मिल रही है तो हर्ज ही क्या है।
- विवेक रस्तोगी (लेखक वित्तीय मामलों के विशेषज्ञ हैं और कल्पतरु नाम का अपना ब्लॉग भी चलाते हैं। यह लेख उसी ब्लॉग से साभार लिया गया है)
(Source : Earthkam)
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